त्वचा के संक्रमण व अन्य बीमारियों में लाभकारी है नीम

त्वचा के संक्रमण व अन्य बीमारियों में लाभकारी है नीम


नीम अगर आप अपनी त्वचा पर हो रहे संक्रमण से बहुत परेशान है तो आपके लिए नीम के पत्ते काफी लाभदायक हो सकते हैं। नीम के पत्ते जितने कड़वे होते हैं उतने ही फायदेमंद भी होते हैं। आयुर्वेद में भी नीम के पत्तों को खून की खराबी से होने वाली सारी बीमारियों के लिए काफी प्रभावशाली बताया है। इसके अलावा भी यह अन्य कई बीमारियों में कारगर सिद्ध होता है। इन्हीं गुणों के कारण नीम चिकित्सा के क्षेत्र में काफी लोकप्रिय है। आइए जानते हैं कहाँ-कहाँ है यह उपयोगी


दांतों-मसूढ़ों की परेशानी


नीम की लकड़ी की दातून करने से दांत व मसूढ़ मजबूत होते हैं, पायरिया, मुंह की बदबू नष्ट होती है। मसूढ़ों की सूजन, खून आना बन्द हो जाता है। दांतों मसूढ़ों की समस्त बीमारियों में नीम की जड़ का काढ़ा बना कर कुल्ला करने से काफी लाभ होता है।


खसरा हो तो


खसरा होने पर दाने निकल आते हैं। तब इसकी पत्तियों के रस की पांच-सात बूंदें बच्चों को पिलाने से दाने आराम से निकल आते हैं और जल्दी ही सूख जाते हैं। खसरे के बाद नोम के पत्तों से उबले पानी से बच्चों को नहाना हितकारी होता है।


अरुचि और बदहजमी करे दूर


भूख न लगे तो कोमल पत्तियों को घी में भूनकर खाएं, भूख खुलकर आएगी और बदहजमी भी दूर हो जाएगी।


त्वचा के पुराने रोगों में


सूखे पत्तों का चूर्ण और आंवले का चूर्ण मिलाकर घी में मिला लें और त्वचा के उस हिस्से पर लगाएं, बहुत जल्द लाभ होगा।


घाव में कीड़े लग जाएं तो


पत्ते के साथ हींग पीसकर घाव पर लगाने से कीड़े मरते हैं और घाव भरता है।


पेट की बीमारियों में


नीम का रस शहद के साथ सेवन करने से लाभ होता है।


संक्रमण से परेशान होते हैं तो


अगर आप अक्सर संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं तो नीम की कोंपलों को एक माह तक चबाना चाहिए। इस मौसम में पुराने पत्ते झड़ जाते हैं और नये आ जाते हैं, जो हल्के लाल रंग के होते हैं। यही कोपल कहलाते हैं। इनका दो-तीन पत्तियां ले लें और धोकर चबा जाएं। अधिक ज्यादा कड़वी महसूस करें तो अगले दिन से थोड़ी अजवाइन के साथ चबाएं। इससे पूरे साल संक्रमण की बीमारियों से सुरक्षित रहेंगे। इतना ही नहीं, इससे आपके ऊपर जहरीले कीड़े, सांप, बिच्छू के काटने पर भी उतना असर नहीं होगा।


नीम की सींक


भोजन करते समय भोजन का अंश दांतों में फंस जाये तो धातु से बनी चीज से न निकालें। नीम की सींक इसमें अधिक उपयोगी और सुरक्षित होती है।


अन्य तथ्य


यदि नीम के सेवन से कोई नुकसान नजर आये तो गाय का दूध या गाय का घी प्रयोग कर उस दुष्प्रभाव से मुक्त हो सकते हैं। अगर दूध या घी न मिले तो सेंधा नमक चूसना लाभकारी होता है। नीम के पत्ते, फूल, फल, लकड़ी, छाल और जड़ कई बीमारियों में प्रभावशाली काम करते हैं।