रोग प्रतिरोधक क्षमता को कैसे बढ़ाएं

रोग प्रतिरोधक क्षमता को कैसे बढ़ाएं


   अक्सर देखा गया है कि मौसम बदलते ही सर्दी-जुकाम, खांसी, फ्लू आदि का प्रकोप बढ़ जाता है। कभी वायरल फीवर का, तो कभी डेंग्यू का, कभी बर्ड फ्लू का खतरा, इन्हें रोक पाना तो हमारे हाथ में नहीं है, लेकिन हम अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर इन बीमारियों से काफी हद तक सुरक्षित रह सकते हैं। अपनी रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का सबसे अच्छा व सरल उपाय है अपनी डायट में जरूरी बदलाव। इसके लिए आवश्यक है कि कुछ चीजों को अपनी डाइट में शामिल करें।


१. सही मात्रा में प्रोटीन : शाकाहारी लोग दूध, दही, पनीर, चीज, सोयाबीन जैसी वस्तुओं को अपनी डाइट में शामिल करें। मांसाहारी हफ्ते में कम से कम तीन बार एग, व्हाइट फिश तथा लीन मीट लें।



२. मेवे का नियमित सेवन : अखरोट व बादाम आदि मेवे सेहत की दृष्टि से लाभप्रद माने जाते हैं, लेकिन इन्हें भी सीमित मात्रा में ही लिया जाना चाहिए। साथ ही अलसी व तिल पाउडर भी रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए उपयोगी है।


३. फल व सब्जियां : अलग-अलग प्रकार की तीन कटोरी सब्जियां व तीन प्रकार के फल रोज खाएं। मौसम के अनुसार सब्जियां व फल बदल कर खाएं।


४. सीरियल्स : अपनी डाइट का एक हिस्सा यानी ब्रेकफास्ट में बाजरा, ओट, सोया, गेहूं, मूंग, चना आदि को शामिल करें।


५. ओमेगा-३ फैटो एसिड्स : ये फ्लेक्सीड यानी अलसी (दिन में एक टेबलस्पून पाउडर), अखरोट, सोया, काला चना, चौली, साबुत उड़द, हरी मेथी, बाजरा तथा फिश में पाया जाता है। अतः इन्हें आहार में शामिल करें।


६. एंटीऑक्सीडेंट युक्त आहार : ऐसे पदार्थ लें, जिनमें विटामिन 'सी', बोटा कैरोटिन, विटामिन 'ई' तथा जिंक व सेलेनियम जैसे मिनरल्स हों, क्योंकि ये पौष्टिक एनसीजी श्वास नली के टिश्यूज पर सुरक्षित प्रभाव डालते हैं, साथ ही ऑक्सिडेंटिव स्ट्रेस से भी आपको सुरक्षित करते हैं। इसके लिए सभी रंग की सब्जियां व फल खाएं। अर्थात हर प्रकार की हरी सब्जियां, लाल टमाटर, लाल, हरी, पीली शिमला मिर्च, चुकंदर, अनार, काले अंगूर, पपीता, संतरा आदि। विटामिन 'सी' प्रदान करने वाले पदार्थों का सेवन करें।


७. मैग्नेशियम युक्त पदार्थ : मैग्नेशियम एंटीइन्फ्लेमेटरी तथा मांसपेशियों को रिलैक्स करने वाला तत्व है। ये श्वास संबंधी रोगों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मैग्नेशियम के अच्छे स्रोत हैं - बाजरा, ज्वार, मक्का, गेहूं का दलिया, आदि। साथ ही साबुत चना, साबुत उड़द, चौली, राजमा, सोयाबीन, साबुत मूंग आदि भी इसके अच्छे साधन हैं। इसके अलावा बादाम, काजू, अखरोट तथा आम, अलूचे, मूली, कमलककड़ी, में भी मैग्नेशियम पाया जाता है।


८. व्यायाम : नियमित व्यायाम आहार द्वारा प्राप्त पौष्टिक तथा संक्रमण से लड़ने वाले सेल्स के लगातार फ्लो (प्रवाह) को बनाए रखता है तथा अनावश्यक तत्वों को शरीर से निकालने में मदद करता है।


९. रहें स्ट्रेस फ्री : स्ट्रेस के कारण हमारी इम्यूनिटी (रोगप्रतिरोधक क्षमता) प्रभावित होती है। अतः यथासंभव रिलैक्स रहने की कोशिश करें। मेडिटेशन, योग, प्राणायाम आदि को अपनी दिनचर्या में शामिल करें।


१०. हाईजीनिक रहें : हाइजीन का पूरा-पूरा ख्याल रखें। बाहर खाना खाने से पहले खाद्य पदार्थ का सही निरीक्षण करें और अपने हाथों को अच्छे से साफ करें।


इन जड़ी-बूटियों को भी आहार में शामिल करें :


मुलैठी : चाइनीज औषधियों में मुलैठी का अधिक प्रयोग होता है। ये हर्बल औषधि उपचार के प्रभाव को बढ़ाती है, इसीलिए मुलैठी रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक हैं।


अश्वगंधा : इसमें एंटीबैक्टीरियल गुण हैं, इसीलिए ये हमारे इम्यून सिस्टम को बेहतर बनाता है।


इलायची : हर्बल उपचार में काम आती है। फ्लेवर के साथ-साथ रोग प्रतिरोधक क्रियाओं में भी सहायक है।


चाय : हॉवर्ड मेडिकल स्कूल के एक अध्ययन के अनुसार चाय में निहित केमिकल संक्रमण से लड़ने व रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक हैं। इसके अलावा विभिन्न प्रकार की हर्बल टी भी संक्रमण से शरीर का बचाव करती है